Boda Ki Kheti: लोबिया/बोड़ा की खेती कब और कैसे करें, जानें इसके अन्य नाम
Boda Ki Kheti: लोबिया/बरबटी की सब्जी को देश के लगभग सभी घरों में खाया जाता है। अलग-अलग राज्यों में इसे भिन्न-भिन्न दिए गए हैं। लोबिया को बोड़ा, चवला, बोरा, बरबटी, ग्वार फली जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे काउपिया के नाम से जानते हैं। यह दलहन फसल श्रेणी के अंतर्गत आती है। खरीफ और जायद दोनों सीजन में बोड़ा की खेती होती है। लोबिया की खेती कर किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि बोड़ा की खेती कैसे की जाती है। लोबिया की खेती करने का उचित समय क्या है। आइए इसकी खेती से जुडी सम्पूर्ण जानकारी के बारे में जानते हैं।
Boda ki Kheti Kaise Kare

दलहन फसल की श्रेणी में आने वाली बोड़ा किसान भाइयों के लिए बेहद ही लाभकारी है। एक तरफ जहाँ इसका उपयोग हम सब्जी बनाने में करते हैं तो व दूसरी और इसका इस्तेमाल पशुचारा और हरी खाद के लिए भी किया जाता है। बोड़ा की फली पतली, लम्बी व हरे रंग की होती हैं। चवला की फली खाने में भी काफी स्वादिस्ट होती है। आइए बोड़ा की खेती से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे खेत तैयार करना, बुवाई का समय, व अन्य जानकारी के बारे में जानते हैं।
बोड़ा/ लोबिया की प्रमुख किस्में
- सी-152
- पूसा फाल्गुनी
- अम्बा (वी- 16)
- स्वर्णा (वी- 38)
- जी सी- 3
- पूसा सम्पदा (वी- 585)
- श्रेष्ठा (वी- 37) आदि
उपरोक्त दी गई लोबिया की सभी किस्में उन्नत व दानेदार हैं, आप इनमें से किसी भी किस्म का चयन कर सकते हैं।
Boda Ki Kheti: अनुकूल जलवायु व उपयुक्त मिट्टी
लोबिया की खेती के लिए अनुकूल जलवायु: गर्म व आर्द्र जलवायु लोबिया की खेती के लिए लाभदायक रहती है। वहीँ अधिक ठंडा मौसम इसके लिए नुकसानदायक होता है। अधिक ठंडे मौसम में इनका विकास ठीक से नहीं हो पाटा है। इसके लिए अनुकूल तापमान 24-27 डिग्री सेंटीग्रेट के बीच होना चाहिए।
लोबिया की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी: आप लोबिया/बोड़ा की खेती को किसी भी प्रकार की मिट्टी में कर सकते हो। बस मिटटी में जल निकास ठीक तरह से होना चाहिए। मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 के बीच होना अनिवार्य है। ध्यान रहे क्षारीय भूमि पर इसकी लोबिया की खेती करने से बचें।
बोड़ा की बुबाई का उचित समय
बीजों की किस्म के अनुसार ही बुबाई का समय निर्धारित किया जाता है। लेकिन अधिकतर लोबिया बीजों की किस्म को फरवरी से लेकर अगस्त महीने तक बुबाई की जाती है। इसकी अच्छी बढ़ोतरी के लिए गर्म एवं शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है। वहीँ ठंडे महीनों में इसकी बुबाई से बचना चाहिए।
खेत की तैयारी
- बुवाई से एक महीने पहले आपको खेत में गाय का गोबर या कम्पोस्ट को अच्छी मात्रा में डालना चाहिए।
- सबसे पहले खेत की कल्टीवेटर से गहरी जुताई कर दें।
- अब खेत 15 से 20 दिनों के लिए छोड़ दें। इससे मिटटी में मौजूद हानिकारक कीट समाप्त हो जाएंगे।
- अब एक बार फिर से से पाटा लगाकर खेत की जुताई कर दें। इससे मिट्टी के बड़े डिल्ले छोटे हो जाएंगे।
- साथ ही आप इस जुताई के दौरान उचित मात्रा में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश मिला दें।
कैसे करें बुबाई
- लोबिया की बुवाई आपको बेहद ही ध्यान पूर्वक करनी होती है। सबसे पहले आप बीजों की बुबाई निर्धारित दूरी पर करें।
- बीज एक दूसरे से न ज्यादा पास होने चाहिए और ना ही ज्यादा दूर हों। इससे पौधे का विकास अच्छी तरह से होगा।
- बीज बुबाई की दूरी किस्मों पर भी आधारित होती है। जैसे यदि आप झाड़ीदार किस्म के बीज की बुबाई कर रहे हैं तो आप पंक्ति से पंक्ति की दूरी 50-60 सेंटीमीटर रख सकते हैं। वहीँ बीज की दूरी 10 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
- यदि आप बेलदार बीज की बुवाई कर रहे हैं तो पंक्ति से पंक्ति की दूरी 80-90 सेंटीमीटर होना चाहिए। बीज की दूरी 10-15 सेंटीमीटर रख सकते हैं।
- ध्यान रहे बुवाई के समय भूमि नम होनी चाहिए। इससे बीज जमीन में अच्छी तरह से सेट हो जाते हैं।
बोड़ा की खेती में सिंचाई का उचित समय
यदि आप खरीफ सीजन यानी जून-जुलाई के समय बोड़ा की खेती करते हैं तो आपको अधिक पानी की जरुरत नहीं होती है। आपको बस इतनी ही सिंचाई करनी होती है कि भूमि में नमी बनी रहे। यदि आप ग्रीष्म ऋतू में बोड़ा की खेती करते हैं तो आपको 8-10 दिनों के अन्तराल में 5 से 6 सिंचाई करनी होती है। ध्यान रहे की सिंचाई शाम के समय करें।
कब करें लोबिया/ ग्वार फली की तुड़ाई
लोबिया की खेती में किस्म के आधार पर तुड़ाई होती है। यदि आपने दानेदार किस्म की बुवाई की थी तो बुबाई के 90 से 120 दिनों के बाद इसकी तुड़ाई कर सकते हैं। इतने दिनों में इसकी फलियां अच्छी तरह से पक जाती है। तुड़ाई में आप 3-4 दिनों का अंतराल जरूर रखें।
लोबिया के अन्य नाम
- बोड़ा की फली
- ग्वारफली
- चवला की फली
- बरबटी
- अंग्रेजी में इसे काउपिया नाम से जाना जाता है
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